भारतीय का संविधान सबसे बड़ा और लिखित है- डाॅ आभा पाल

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संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है- धनंजय राठौर

संविधान का बहुत बड़ा भाग भारत सरकार अधिनियम 1935 से लिया गया- डाॅ किशोर अग्रवाल

समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

डाॅ आभा रूपेन्द्र पाल ने कहा कि विश्व का प्रथम लिखित संविधान संयुक्त राज्य अमेरिका का है तथा संसार का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत का है। भारतीय संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष श्री सच्चिदानंद सिन्हा को निर्वाचित किया गया था, उसके बाद डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया था, सविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर जी थे और 26 जनवरी 1950 को इसे पूर्ण रूप से पूरे देश में लागू किया गया था।

डाॅ आभा पाल ने आज पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के इतिहास अध्ययन शाला  द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत में आयोजित भारतीय संविधान कल, आज और कल विषय पर व्याख्यान एवं परिचर्चा में

मुख्य अतिथि के रूप उक्त विचार व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन 26 नवम्बर को भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान सभा में कुल 284 सदस्य थे, जिनमें से 15 महिलाएं थीं।

संयुक्त संचालक राज्य सूचना आयोग  श्री धनंजय राठौर ने मुख्य वक्ता के रूप कहा कि सन 2015 में भारतीय संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डाॅ बी आर अंबेडकर के 125 वीं जयंती पर 26 नवम्बर को  संविधान दिवस घोषित किया गया, तब  से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जा रहा है । उन्होंने कहा कि  संविधान एक ऐसा लिखित दस्तावेज होता है जिनके द्वारा किसी देश में शासन व्यवस्था चलाई जाती है इसमें नियम कायदे कानून सरकार की शक्तियाँ अधिकार आदि के बारे में विस्तार से लिखा होता है उसे संविधान कहते हैं ।किसी देश या संस्था द्वारा निर्धारित किए गए वह नियम जिसके माध्यम से संस्था का सुचारु ढंग से संचालन हो सके उसे देश या संस्था का संविधान कहा जाता है।

श्री राठौर ने कहा कि किसी भी देश का संविधान वह मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा, कार्य निर्धारण तथा नागरिको के हितों का संरक्षण भी करता है। वर्तमान में, भारत का संविधान 465 अनुच्छेद जो 25 भागों और 12 अनुसूचियों में लिखित है। जिस समय संविधान लागू हुआ था, उस समय 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचि और 22 भाग थे। संविधान में समय– समय पर कई संशोधन किए जाते हैं। संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, इसका उल्लंघन करनें वाले को गैर संवैधानिक माना जाता है। इसलिए, व्यक्तियों के अधिकार तदर्थ वैधानिक संरक्षण या सामान्य कानून के तहत न्यायिक सुरक्षा पर निर्भर रहते हैं।  

भारतीय संविधान कठोरता व लचीलेपन के सम्मिश्रण का अनूठा उदाहरण है। यह अमेरिका, स्विट्जरलैंड और फ्रांस, जापान जैसे देश की तरह ना तो बहुत कठोर है ना ही ब्रिटेन व इजरायल की तरह बहुत लचीला है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जो 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। वर्तमान में इस संविधान में कुल 450 अनुच्छेद (24 भागों में विभक्त) तथा 12 अनुसूचियां, एक प्रस्तावना तथा 5 परिशिष्ट हैं।

संविधान के भाग III को ‘भारत का मैग्नाकार्टा’ की संज्ञा दी गई है। ‘मैग्नाकार्टा’ अधिकारों का वह प्रपत्र है, जिसे इंग्लैंड के किंग जॉन द्वारा 1215 में सामंतों के दबाव में जारी किया गया था। यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित पहला लिखित प्रपत्र था।

उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वार हस्तक्षेप नही किया जा सकता। ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता। भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को छह मौलिक अधिकार प्रदान करता है:-1 समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) 2 स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) 3 शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) 4 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

5 संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30)6 संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) मूलतः संविधान में संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) भी शामिल था। हालाँकि इसे 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था। इसे संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300 (A) के तहत कानूनी अधिकार बना दिया गया है।

विशेष अतिथि के रूप सेवानिवृत्त प्राध्यापक  डाॅ किशोर अग्रवाल ने कहा कि भारत सरकार अधिनियम 1935- इस एक्ट की सबसे बड़ी विशेषता यह है की भारत की आज़ादी के समय भारतीय संविधान का बहुत बड़ा भाग इस एक्ट से लिया गया था। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान को ‘Bag of Borrowings’ भी कहा जाता है। क्योंकि इसके ज्यादातर प्रावधान अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, सोवियत संघ, आयरलैंड समेत अन्य देशों के संविधानों से प्रेरित हैं।  भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना से प्रेरित है। श्री अग्रवाल ने कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा संविधान है। भारतीय संविधान का जनक  डॉ. भीमराव आंबेडकर को कहा जाता है।

इस व्याख्यान एवं परिचर्चा में प्रोफेसर प्रियंवदा मिश्रा ने अध्यक्ष भाषण दिया। इस अवसर पर पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के इतिहास अध्ययन शाला के प्राध्यापक सर्व श्री डाॅ डी एन खूँटे, डाॅ बंशो नुरूटी, डाॅ सीमा पाल, डाॅ उदय अढाऊ सहित पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के इतिहास अध्ययन शाला के रिसर्च करने वाले और अध्ययन विद्यार्थी बडी संख्या में उपस्थित थे ।

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