यौन हिंसा पीड़ितों के लिए मेडिको लीगल केयर एवं प्रोटोकाल पर वर्कशाप आयोजित : यौन हिंसा पीड़ित की गरिमा का ध्यान रखते हुए चिकित्सकीय परीक्षण करना चाहिए

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समदर्शी न्यूज़ ब्यूरो, रायपुर

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देर्शों के अनुरूप यौन हिंसा पीड़ितों के मेडिको लीगल केयर (चिकित्सकीय कानूनी देखभाल) को लेकर संचालनालय स्वास्थ्य सेवा छत्तीसगढ़ की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के लेक्चर हाॅल में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में यौन हिंसा पीड़ितों के मेडिको लीगल केयर के दिशा-निर्देश और प्रोटोकाॅल के सम्बन्ध में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए चिकित्सकों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

कार्यशाला का शुभारंभ अधिष्ठाता चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर डाॅ. तृप्ति नागरिया, पूर्व डीएमई डाॅ. आर. के. सिंह, विभागाध्यक्ष फोरेंसिक मेडिसिन डाॅ. स्निग्धा जैन, पीएसएम विभागाध्यक्ष डाॅ. निर्मल वर्मा, फिजियोलॉजी विभागाध्यक्ष डाॅ. सुमित त्रिपाठी एवं डाॅ. शैलेन्द्र अग्रवाल ने किया।

अधिष्ठाता डाॅ. तृप्ति नागरिया ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि यौन हिंसा पीड़ितों का उपचार एवं मेडिको लीगल दस्तावेजीकरण संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए। डाॅक्टरों को ऐसे प्रकरणों के चिकित्सा साक्ष्य (मेडिकल एविडेंस) का संग्रह भारत सरकार के गाइडलाइन के अनुरूप करना चाहिए। विभागाध्यक्ष फोरेंसिक विभाग डाॅ. स्निग्धा जैन ने डाॅक्टरों को प्रशिक्षण देते हुए बताया कि यौन हिंसा पीड़ितों के परीक्षण एवं साक्ष्य एकत्रित करने के दौरान सेफ किट का सही ढंग से प्रयोग करना चाहिए। यौन हिंसा पीड़ित की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पीड़ित का चिकित्सकीय परीक्षण किया जाना चाहिए।

पूर्व विभागाध्यक्ष फोरेंसिक विभाग डाॅ. आर के. सिंह ने बताया कि मेडिको लीगल एक्जामिनेशन के लिए पीड़ित या विक्टिम की सहमति आवश्यक है। किसी भी प्रकार की जांच पीड़ित की सहमति के बिनाा नहीं किया जा सकता। फोरेंसिक विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. नागेन्द्र सिंह सोनवानी ने हैंड्स आॅन वर्कशाॅप के द्वारा कपड़े, वैजाइनल एंड एनल स्वैब, खून, खून के धब्बे, नाखून के टुकड़ों, बाल तथा अन्य साक्ष्य को स्टेप बाई स्टेप एकत्रित करना बताया।

कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न शासकीय अस्पतालों से लगभग 76 चिकित्सकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रातः 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक संपन्न हुए कार्यशाला में फोरेंसिक मेडिसिन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु डाॅ. आर. के. सिंह को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया।

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